Jaundice in Hindi: पीलिया एक ऐसी अवस्था को कहते हैं, जब मरीज के त्वचा और आंख का सफेद हिस्सा पीला पड़ने लगता है। खून में बिलिरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है। यह अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह एक बीमारी या परिस्थिति का लक्षण है, जिसमें तत्काल सावधानी बरतने की जरूरत है।
पीलिया कई बीमारियों की वजह बन जाता है। मलेरिया, सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया जैसे रोग बिलिरुबिन के निर्माण की गति को तेज कर देते हैं, जबकि हेपेटाइटिस, अल्कोहलिक लिवर की बीमारी, ग्रंथियों का बुखार, लिवर का कैंसर, और यहां तक कि अत्यधिक मात्रा में शराब पीने से बिलिरुबिन को प्रोसेस करने की लिवर की क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा अन्य परिस्थितियां, जैसे कि गॉल स्टोन्स और पैनक्रियाटिटिस, शरीर से बिलिरुबिन को बाहर निकालने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती हैं।
अक्सर लोग पूछते हैं कि पीलिया के लक्षण बताएं लेकिन हम आपको बता दें कि पीलिया के लक्षणों के अलावा यह रोग किन कारणों से होता है यह जानना भी बेहद जरूरी है तो चलिए यह भी जान लेते हैं कि पीलिया रोग आखिर किन कारणों से होता है।(causes of jaundice)
अक्सर नवजात बच्चे पीलिया की चपेट में अधिक आते हैं ऐसे में उनकी त्वचा पीली पड़ जाती है और आंखें सफेद होने लगती हैं। धीरे-धीरे बच्चे की भूख में भी कमी आने लगती है इसके अलावा भी पीलिया के और भी कई लक्षण हैं जैसे-
जॉन्डिस के लक्षण की बात करें तो इसमें सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति की त्वचा और आंखें पीली पड़ने लग जाती हैं, यह पीलिया के सबसे शुरुआती लक्षणों में से एक है। पीलिया में पीड़ित व्यक्ति का बिलिरुबिन का स्तर गिर जाता है जो लीवर के रेड ब्लड सेल्स नष्ट होने से पैदा होते हैं जिसका असर आंखों व त्वचा पर दिखाई देने लगता है। (jaundice yellow skin)
(stomach pain in hindi) पेट में दर्द होना भी ज्वाइंडिस के लक्षण हैं। पीलिया रोग से पीड़ित व्यक्ति के पेट में हमेशा दर्द महसूस होता है और यह दर्द अक्सर दाहिने तरफ ज्यादा होता है। अगर आपको हमेशा पेट दर्द की शिकायत रहती है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें और अपना पीलिया जांच करवाएं।
जॉन्डिस में स्टूल का रंग भी बदल जाता है। पीलिया से पीड़ित व्यक्ति के बिलिरुबिन की मात्रा का अधिक हिस्सा यूरिन में चला जाता है और जो हिस्सा बच जाता है वो शरीर की कोशिकाओं में मिलने लग जाता है जिससे पीड़ित व्यक्ति के मल के रंग में बदलाव दिखाई देता है। अगर आपको अपने मल के रंग में बदलाव दिखे तो समझ जाएं की आपके भीतर पीलिया लक्षण हैं।
पीलिया से ग्रसित व्यक्ति के यूरिन में फर्क नजर आने लग जाता है। पीलिया रोग में अक्सर लाल रक्त कोशिकाएं बिलिरुबिन में और फिर बाइल में बदलने लग जाती हैं और यही बदलाव व बिलुरुबिन का असामान्य होने की वजह से यूरिन में बाइल पिगमेंट की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है जिससे यूरिन का रंग गहरा हो जाता है। यूरिन पीले रंग का निकलना पीलिया रोग के लक्षण हैं और यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अक्सर लोग पूछते हैं कि पीलिया के लक्षण बताइए यानी यह कैसे पहचाना जा सकता है कि पीलिया अब गंभीर स्थिति में है। तो हम आपको बता दें कि उल्टी और मतली आना पीलिया के सबसे गंभीर लक्षण हैं। शुरुआती दिनों में त्वचा और आंखे पीली हो जाती हैं। साथ ही यूरिन का रंग बदल जाता है। लेकिन जब रोगी को उल्टी और मतली की शिकायत हो जाए तो समझ जाएं कि पीलिया अब गंभीर स्थिति में है, इस दौरान अगर रोगी पर ध्यान न दिया जाए तो यह समस्या बहुत बड़ी भी हो सकती है। (vomiting in jaundice)
पीलिया होने के लक्षण में खुजली भी शामिल है। जिन लोगों को कोल्सटॉसिस की वजह से पीलिया होता है उनमें अक्सर खुजली की शिकायतें देखी गई है। शुरुआती दिनों में खुजली हाथ व पैरों में होती है और फिर पूरे शरीर में फैलने लग जाती है।
कई लोगों को पीलिया में नींद न आने की भी शिकायत हो जाती है और वो भावनात्मक रूप से काफी परेशान रहते हैं। पीलिया के लक्षण इन हिंदी की बात करें तो ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा जॉन्डिस के रोगी को नींद न आने की भी शिकायत रहती है अगर यह सारे लक्षण किसी रोगी में हैं तो हो सकता है कि वह लिवर के पीलिया से ग्रसित हो जिसका जल्द से जल्द इलाज बहुत जरूरी है।
निम्न उम्र वर्ग के लोगों को पीलिया (Piliya) हो सकता हैः-
पीलिया की जटिलताएं इसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करती हैं। पीलिया की संभावित जटिलताओं में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
पीलिया का जांच कई तरह से किया जाता है। पीलिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर निम्न जांच करने का सुझाव देते हैं:-
पीलिया का इलाज (jaundice ka ilaj) इसके कारण पर निर्भर करता है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर अनेको उपचार विकल्पों का चयन कर सकते हैं जिसमें दवाओं का सेवन, सर्जरी, जीवनशैली और डाइट में बदलाव आदि शामिल हैं।
पीलिया होने पर आपको अपने खान-पान का ख़ास ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं पीलिया में आपका खान-पान कैसा होना चाहिए।
इन सबके अलावा, आप अपनी डाइट में निम्नलिखित चीजों को शामिल का सकते हैं:-
पीलिया से पीड़ित होने की स्थिति में आपको कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं:-
कुछ खास सावधानियां बरतकर पीलिया से बचा जा सकता है। डॉक्टर के अनुसार, पीलिया का बचाव करने के लिए लिवर का स्वस्थ होना अतिआवश्यक है, क्योंकि यही पाचक रस का उत्पादन करता है जो भोजन को हजम करने में मदद करता है।
साथ ही, लिवर खून में थक्का बनने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। निम्न बातों का पालन कर लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है जो पीलिया की रोकथाम में मदद करेगा।
अगर आप ऊपर दिए गए बिंदुओं का पालन करते हैं तो पीलिया का बचाव करना संभव है।
जॉन्डिस के लक्षण दिखने पर सबसे ज़रुरी है कि जीवनशैली और खानपान में बदलाव लाएं. आइये जानते कि
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अगर आप खुद में पीलिया के निम्न लक्षणों को अनुभव करते हैं तो आपको जल्द से जल्द एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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